देश की समुद्री ताकत और ब्लू इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए मुंबई में ‘भारत समुद्री सप्ताह 2025’ का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 27 अक्टूबर को सुबह 10:30 बजे नेस्को प्रदर्शनी केंद्र में करेंगे। यह आयोजन पांच दिनों तक यानी 27 से 31 अक्टूबर तक चलेगा। इस भव्य आयोजन का संयुक्त रूप से आयोजन भारतीय बंदरगाह संघ और बंदरगाह, जहाजरानी व जलमार्ग मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक समुद्री केंद्र के रूप में स्थापित करना, सतत विकास को प्रोत्साहित करना और ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देना है। अमित शाह अपने उद्घाटन भाषण में भारत के भविष्य के समुद्री दृष्टिकोण और ‘विकसित भारत 2047’ में समुद्री क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डालेंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर, और कई तटीय राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे, जिनमें महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस, गुजरात के भूपेंद्र पटेल, गोवा के प्रमोद सावंत और ओडिशा के मोहन चरण माझी प्रमुख हैं। यह आयोजन भारत और विदेश के समुद्री उद्योगों, नीति निर्माताओं, निवेशकों और नवप्रवर्तकों को एक ही मंच पर लाने का काम करेगा।
पांच दिवसीय इस कार्यक्रम में प्रदर्शनियां, पैनल चर्चाएं और संवादात्मक सत्र होंगे, जिनमें बंदरगाह, नौवहन, रसद और समुद्री प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अवसरों और संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी। इसका मकसद भारत की समुद्री शक्ति को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करना और सहयोग व नवाचार को प्रोत्साहित करना है। कार्यक्रम का प्रमुख फोकस ‘स्मार्ट पोर्ट्स’, ‘डिजिटल लॉजिस्टिक्स’ और ‘हरित प्रौद्योगिकी (Green Technology)’ पर रहेगा। इसमें सौर और पवन ऊर्जा से संचालित जहाजों और बंदरगाहों की योजनाओं पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
भारत सरकार की सागरमाला परियोजना, बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, और हरित शिपिंग (Green Shipping) जैसी योजनाओं के माध्यम से नीली अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने का प्रयास जारी है। भारत के 12 प्रमुख बंदरगाहों ने वित्त वर्ष 2024-25 में 870 मिलियन टन कार्गो संभाला, जो पिछले वर्ष से 6 प्रतिशत अधिक है। ‘भारत समुद्री सप्ताह 2025’ में 20 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, 200 से अधिक प्रदर्शक और 5,000 से ज्यादा आगंतुकों के शामिल होने की उम्मीद है। यह आयोजन भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति और वैश्विक सहयोग का प्रतीक बनने जा रहा है।